मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक होता है और पूरे भारत में अलग-अलग रीति-रिवाजों और उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
2025 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। आइए जानते हैं इस पर्व के महत्व और परंपराओं के बारे में।
मकर संक्रांति 2025 की तिथि | Makar Sankranti 2025 date
मकर संक्रांति 2025 की तिथि 15 जनवरी है। यह दिन विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण महत्व रखता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, जिससे धार्मिक दृष्टि से इसे शुभ माना जाता है। इस दिन को लेकर हर राज्य में अपनी-अपनी परंपराएँ और उत्सव होते हैं।
दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में इसे खास तौर पर उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति किस तिथि को है? | makar sankranti kis date ko hai
मकर संक्रांति किस तिथि को है इस सवाल का उत्तर हर साल बदलता है, क्योंकि यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर निर्भर करता है। हालांकि, सामान्यत: यह हर साल 14 जनवरी से 16 जनवरी के बीच मनाया जाता है। 2025 में, यह 15 जनवरी को है, जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति का दिन है।
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं? | makar sankranti kyu manate h
मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मनाया जाता है, जो एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन हमें सर्दियों से गर्मी की ओर अग्रसर होने की याद दिलाता है और यह पूरे भारत में एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसे मनाने के पीछे मुख्य कारण सूर्य की उपासना और उसके जीवनदायिनी प्रभाव को मान्यता देना है। साथ ही, यह त्यौहार फसल कटाई का भी प्रतीक है, क्योंकि यह समय फसल के पकने और काटने का होता है, और किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं।
मकर संक्रांति की परंपराएँ | makar sankranti rituals
मकर संक्रांति के दिन विभिन्न परंपराएँ निभाई जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- काइट फ्लाइंग: विशेषकर गुजरात और राजस्थान में इस दिन को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है, और यहाँ पर लोग बड़े उत्साह से पतंगबाजी करते हैं। यह काइट फ्लाइंग का सबसे बड़ा उत्सव होता है।
- तिल और गुड़: मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ जैसे तिलगुल खाई जाती हैं। इसे मिठाई की दानवाला भी कहा जाता है, जहां लोग एक दूसरे को तिलगुल देते हैं और एक-दूसरे से कहते हैं “तिलगुल घ्या आनि गोड़ गोड़ बोला” यानी “तिलगुल खाओ और मीठा बोलो।”
- स्नान और पूजा: इस दिन को पुण्यदायिनी दिन माना जाता है, इसलिए लोग गंगा, यमुन, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने जाते हैं। इसके बाद सूर्यदेव की पूजा करके इस दिन का आध्यात्मिक लाभ उठाया जाता है।
- फसल की कटाई और धन्यवाद: किसानों के लिए यह दिन बेहद खास होता है क्योंकि यह फसल कटाई का समय होता है। इस दिन को लेकर उत्सव मनाए जाते हैं और किसानों को उनके कठोर परिश्रम का फल मिलता है।
मकर संक्रांति के महत्व से जुड़ी अन्य बातें | Unheared Facts about Makar sankranti
- सूर्य की उपासना: इस दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है, जिन्हें जीवनदायिनी और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है।
- नए कपड़े पहनना और खुशी मनाना: मकर संक्रांति के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ खुशी मनाते हैं। यह समय एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
- समाजिक एकता और भाईचारा: इस दिन लोग एक दूसरे के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं, गंगा स्नान करते हैं, तिलगुल खाते हैं और समाज में एकता का संदेश फैलाते हैं।
निष्कर्ष | Conclusion
मकर संक्रांति 2025 का त्यौहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह एक ऐसी तिथि है जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। मकर संक्रांति के दिन के साथ जुड़ी परंपराएँ न केवल भारतीय जीवनशैली का हिस्सा हैं, बल्कि यह हमें प्रकृति और समाज के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से जीने की शिक्षा भी देती हैं।
तो, मकर संक्रांति के इस खास मौके पर आप भी अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस उत्सव का आनंद लें और नये उत्साह के साथ जीवन की राह पर आगे बढ़ें।
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